हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार,हुज्जतुल इस्लाम मौलाना अली जवाद आज़मी द्वारा लिखित (मफाहीम अल-सियाम) रमज़ान और रोज़े की गहराई को समझने में मदद करने वाली एक महत्वपूर्ण पुस्तक है। यह किताब कुरआन और हदीस की रोशनी में रोज़े के सही अर्थ, उसके उद्देश्य और महत्व को विस्तार से बयान करती है।
पुस्तक में रमज़ान के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की गई है, जैसे तक़्वा (धर्मपरायणता) की प्राप्ति, आत्मशुद्धि, धैर्य और कृतज्ञता की भावना, गरीबों और ज़रूरतमंदों के प्रति संवेदनशीलता, और इबादत में वृद्धि। लेखक ने रमज़ान के दौरान कुरआन की तिलावत, और उसको समझने और उस पर अमल करने के महत्व पर भी ज़ोर दिया है, क्योंकि यही वह महीना है जिसमें कुरआन नाज़िल हुआ।
इसके अलावा, लेखक ने रोज़े की हक़ीक़त को भी स्पष्ट किया कि रोज़ा केवल भूखा और प्यासा रहने का नाम नहीं, बल्कि अपनी ज़ुबान, आँख, कान और दिल को भी गुनाहों से बचाना है। रोज़ा आत्मसंयम का अभ्यास कराता है और व्यक्ति को अल्लाह के करीब लाने का ज़रिया बनता है।
मफाहीम अल-सियाम उन लोगों के लिए एक अमूल्य मार्गदर्शक है, जो रमज़ान के असल मक़सद को समझकर इसका पूरा लाभ उठाना चाहते हैं। यह पुस्तक न केवल धार्मिक ज्ञान प्रदान करती है, बल्कि हमें अपने आत्मिक और नैतिक जीवन को संवारने की प्रेरणा भी देती है।
अल्लाह हमें रमज़ान के सही मायने समझने और उस पर अमल करने की तौफीक़ दे, आमीन
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